वर्णमाला

स्वर 

ये स्वर संस्कृत के लिये दिये गये हैं। हिन्दी में इनके उच्चारण थोड़े भिन्न होते हैं।
वर्णाक्षर“प” के साथ मात्राIPA उच्चारण"प्" के साथ उच्चारणIAST समतुल्यअंग्रेज़ी समतुल्यहिन्दी में वर्णन
/ ə // pə /aलघु या दीर्घ Schwa: जैसे aabove या ago मेंमध्य प्रसृत स्वर
पा/ α: // pα: /āदीर्घ Open back unrounded vowel: जैसे a, father मेंदीर्घ विवृत पश्व प्रसृत स्वर
पि/ i // pi /iलघु close front unrounded vowel: जैसे i, bit मेंह्रस्व संवृत अग्र प्रसृत स्वर
पी/ i: // pi: /īदीर्घ close front unrounded vowel: जैसे i, machine मेंदीर्घ संवृत अग्र प्रसृत स्वर
पु/ u // pu /uलघु close back rounded vowel: जैसे u, put मेंह्रस्व संवृत पश्व वर्तुल स्वर
पू/ u: // pu: /ūदीर्घ close back rounded vowel: जैसे oo, school मेंदीर्घ संवृत पश्व वर्तुल स्वर
पे/ e: // pe: /eदीर्घ close-mid front unrounded vowel: जैसे a in game (संयुक्त स्वर नहीं) मेंदीर्घ अर्धसंवृत अग्र प्रसृत स्वर
पै/ ai // pai /aiदीर्घ diphthong: जैसे ei, height मेंदीर्घ द्विमात्रिक स्वर
पो/ ο: // pο: /oदीर्घ close-mid back rounded vowel: जैसे o, tone (संयुक्त स्वर नहीं) मेंदीर्घ अर्धसंवृत पश्व वर्तुल स्वर
पौ/ au // pau /auदीर्घ diphthong: जैसे ou, house मेंदीर्घ द्विमात्रिक स्वर
संस्कृत में  दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह  "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है।
इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ये वर्णाक्षर भी स्वर माने जाते हैं :
  • ऋ -- आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह, संस्कृत में अमेरिकी अंग्रेजी शब्दांश (American English syllabic) / r / की तरह
  • ॠ -- केवल संस्कृत में (दीर्घ ऋ)
  • ऌ -- केवल संस्कृत में (syllabic retroflex l)
  • ॡ -- केवल संस्कृत में (दीर्घ ऌ)
  • अं -- आधे न्, म्, ङ्, ञ्, ण् के लिये या स्वर का नासिकीकरण करने के लिये
  • अँ -- स्वर का नासिकीकरण करने के लिये (संस्कृत में नहीं उपयुक्त होता)
  • अः -- अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिये

व्यंजन

जब कोई स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है । स्वर के न होने को हलन्त्‌ अथवा विराम से दर्शाया जाता है । जैसे कि क्‌ ख्‌ ग्‌ घ्‌ ।
स्पर्श
अल्पप्राण
अघोष
महाप्राण
अघोष
अल्पप्राण
घोष
महाप्राण
घोष
नासिक्य
कण्ठ्यक / kə /
k; अंग्रेजी: skip
ख / khə /
kh; अंग्रेजी: cat
ग / gə /
g; अंग्रेजी: game
घ / gɦə /
gh; महाप्राण /g/
ङ / ŋə /
n; अंग्रेजी: ring
तालव्यच / cə / or / tʃə /
ch; अंग्रेजी: chat
छ / chə / or /tʃhə/
chh; महाप्राण /c/
ज / ɟə / or / dʒə /
j; अंग्रेजी: jam
झ / ɟɦə / or / dʒɦə /
jh; महाप्राण /ɟ/
ञ / ɲə /
n; अंग्रेजी: finch
मूर्धन्यट / ʈə /
t; अमेरिकी अंग्रेजी:: hurting
ठ / ʈhə /
th; महाप्राण /ʈ/
ड / ɖə /
d; अमेरिकी अंग्रेजी:: murder
ढ / ɖɦə /
dh; महाप्राण /ɖ/
ण / ɳə /
n; अमेरिकी अंग्रेजी:: hunter
दन्त्यत / t̪ə /
t; स्पैनिश: tomate
थ / t̪hə /
th; महाप्राण /t̪/
द / d̪ə /
d; स्पैनिश: donde
ध / d̪ɦə /
dh; महाप्राण /d̪/
न / nə /
n; अंग्रेजी: name
ओष्ठ्यप / pə /
p; अंग्रेजी: spin
फ / phə /
ph; अंग्रेजी: pit
ब / bə /
b; अंग्रेजी: bone
भ / bɦə /
bh; महाप्राण /b/
म / mə /
m; अंग्रेजी: mine
स्पर्शरहित
तालव्यमूर्धन्यदन्त्य/
वर्त्स्य
कण्ठोष्ठ्य/
काकल्य
अन्तस्थय / jə /
y; अंग्रेजी: you
र / rə /
r; स्कॉटिश अंग्रेजी: trip
ल / lə /
l; अंग्रेजी: love
व / ʋə /
v; अंग्रेजी: vase
ऊष्म/
संघर्षी
श / ʃə /
sh; अंग्रेजी: ship
ष / ʂə /
sh; मूर्धन्य /ʃ/
स / sə /
s; अंग्रेजी: same
ह / ɦə / or / hə /
h; अंग्रेजी: behind
नोट करें :
  • इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त वयंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में इसका प्रयोग किया जाता है।
  • संस्कृत में  का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोंक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर  जैसी आवाज़ करना। शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा में कुछ वाक्यों में  का उच्चारण  की तरह करना मान्य था। आधुनिक हिन्दी में  का उच्चारण पूरी तरह  की तरह होता है।
  • हिन्दी में  का उच्चारण ज़्यादातर ड़ँ की तरह होता है, यानि कि जीभ मुँह की छत को एक ज़ोरदार ठोकर मारती है। हिन्दी में क्षणिक और क्शड़िंक में कोई अंतर नहीं है, परन्तु संस्कृत में ण का उच्चारण  की तरह बिना ठोकर मारे होता था, अंतर केवल इतना कि जीभ  के समय मुँह की छत को कोमलता से छूती है।

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