शनिवार, 8 नवंबर 2014

प्राचीन वंशावली


भारतस्य इतिहासः अतिप्राचीनः अस्ति । नैके राजानः इमां पुण्यभूमिं, त्यागभूमि, धर्मभूमिं प्राशासयन् । तेषु केषाञ्चन नामानि अत्र प्रदत्तानि ।
यादवकुलम्
मनुः  · इला  · पुरूरवाः  · आयुः  · नहुषः  · ययातिः  · यदुः  · क्रोष्टुः  · वृजिनिवान्  · स्वाहिः  · रुशद्गुः  · चित्ररथः  · शशबिन्दुः  · पृथुश्रवः  · अन्तरः  · सुयज्ञः  · उशीनरः  · शिनेयुः  · मरुत्  · कम्बलबर्हिः  ·रुक्मकवचः  · परावृत्  · ज्यामघः  · विदर्भः  · क्रथभीमः  · कुन्तिभोजः  · धृष्टः  · निर्वृतिः  · विदूरथः  · दशार्हः  · व्योमन्  · जीमूतः  · विकृतिः  · भीमरथः  · रथवरः  · दशरथः  · एकादशरथः  · शकुनिः  · करम्भ  ·देवरातः  · देवक्षत्रः  · देवनः  · मधुः  · पुरुवशः  · पुरुद्वन्तः  · जन्तु  · सत्वन्तः  · भीमसेनः  · अन्धकः  · कुकुरः  · वृष्णि  · कपोतरोमनः  · विलोमी  · नल  · अभिजित्  · पुनर्वसु  · उग्रसेन  · कंस  · कृष्ण  · शाम्ब
पौरवकुलम्
मनु  · इला  · पुरुरवस्  · आयु  · नहुष  · ययाति  · पूरु  · जनमेजय  · प्राचीन्वन्त्  · प्रवीर  · मनस्यु  · अभयद  · सुधन्वन्  · बहुगव  · संयति  · अहंयाति  · रौद्राश्व  · ऋचेयु  · मतिनार  · तंसु  · दुष्यन्त  · भरत  ·भरद्वाज  · वितथ  · भुवमन्यु  · बृहत्क्षत्र  · सुहोत्र  · हस्तिन्  · अजमीढ  · नील  · सुशान्ति  · पुरुजानु  · ऋक्ष  · भृम्यश्व  · मुद्गल  · ब्रह्मिष्ठ  · वध्र्यश्व  · दिवोदास  · मित्रयु  · मैत्रेय  · सृञ्जय  · च्यवन  · सुदास  ·संवरण  · सोमक  · कुरु  · परीक्षित  · जनमेजय  · भीमसेन  · विदूरथ  · सार्वभौम  · जयत्सेन  · अराधिन  · महाभौम  · अयुतायुस्  · अक्रोधन  · देवातिथि  · ऋक्ष २  · भीमसेन  · दिलीप  · प्रतीप  · शन्तनु  ·भीष्म  · विचित्रवीर्य  · धृतराष्ट्र  · पाण्डव  · अभिमन्यु
अयोध्याकुलम्
मनु  · इक्ष्वाकु  · विकुक्षि-शशाद  · कुकुत्स्थ  · अनेनस्  · पृथु  · विष्टराश्व  · आर्द्र  · युवनाश्व  · श्रावस्त  · बृहदश्व  · कुवलाश्व  · दृढाश्व  · प्रमोद  · हरयश्व  · निकुम्भ  · संहताश्व  · अकृशाश्व  · प्रसेनजित्  · युवनाश्व २ · मान्धातृ  · पुरुकुत्स  · त्रसदस्यु  · सम्भूत  · अनरण्य  · त्रसदश्व  · हरयाश्व २  · वसुमत  · त्रिधनवन्  · त्रय्यारुण  · सत्यव्रत  · हरिश्चन्द्र  · रोहित  · हरित  · विजय  · रुरुक  · वृक  · बाहु  · सगर  · असमञ्जस्  ·अंशुमन्त्  · दिलीप १  · भगीरथ  · श्रुत  · नाभाग  · अम्बरीश  · सिन्धुद्वीप  · अयुतायुस्  · ऋतुपर्ण  · सर्वकाम  · सुदास  · मित्रसह  · अश्मक  · मूलक  · शतरथ  · ऐडविड  · विश्वसह १  · दिलीप २  · दीर्घबाहु  · रघु · अज  · दशरथ  · राम  · कुश  · अतिथि  · निषध  · नल  · नभस्  · पुण्डरीक  · क्षेमधन्वन्  · देवानीक  · अहीनगु  · पारिपात्र  · बल  · उक्थ  · वज्रनाभ  · शङ्खन्  · व्युषिताश्व  · विश्वसह २  · हिरण्याभ  · पुष्य  ·ध्रुवसन्धि  · सुदर्शन  · अग्निवर्ण  · शीघ्र  · मरु  · प्रसुश्रुत  · सुसन्धि  · अमर्ष  · विश्रुतवन्त्  · बृहद्बल  · बृहत्क्षय
अन्यराजाः



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शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

‘ष’ वर्ण का उच्चारण


 देवनागरी लिपि का एक वर्ण है। संस्कृत से उत्पन्न कई शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे की षष्ठ, धनुष, सुष्मा, कृषि, षड्यंत्र, संघर्ष और कष्ट। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध॰व॰) में इसके संस्कृत उच्चारण को ʂ के चिन्ह से लिखा जाता है। संस्कृत में '' और '' के उच्चारण में काफ़ी अंतर है, लेकिन हिंदी से '' ध्वनि लगभग लुप्त हो चुकी है और इसे '' कि तरह उच्चारित किया जाता है, जिसका अ॰ध॰व॰ चिन्ह ʃ है। संस्कृत में '' और '' का एक संयुक्त अक्षर 'क्ष' भी प्रयोग होता है। संस्कृत में 'क्ष' का उच्चारण भी 'क्श' से भिन्न है हालाँकि हिंदी में इनमें अंतर नहीं है।

अघोष मूर्धन्य संघर्षी

ष के संस्कृत उच्चारण को भाषाविज्ञान के नज़रिए से "अघोष मूर्धन्य संघर्षी" वर्ण कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे "वाएस्लेस रॅट्रोफ़्लॅक्स फ़्रिकेटिव" (voiceless retroflex fricative) या "वाएस्लेस रॅट्रोफ़्लॅक्स सिबिलॅन्ट" (voiceless retroflex sibilant) कहते हैं।

संस्कृत में

संस्कृत में '' को '' और 'ख़' के बीच की एक ध्वनि समझा जा सकता है (यह तीनों ही संघर्षी वर्ण हैं)। ध्यान दीजिये कि 'ख़' और '' दोनों कण्ठ्य ध्वनियाँ हैं और '' हिंदी में 'ख़' से अधिक प्रचलित है। इस वजह से जब '' का संस्कृत उच्चारण हिंदी से लुप्त हुआ तो कुछ प्राकृत उपभाषाओँ में '' और 'क्ष' (यानि ''+'') के स्थान पर '' कहा जाने लगा। हिंदी में ऐसे बहुत से तद्भव शब्द हैं जिनमें संस्कृत से दो चीज़ें हुई हैं:
·        
·         ष/क्ष/ष्क ख/क
इसके कई उदाहरण हैं:
·         शुष्क सूख या सूखा
·         भिक्षा भीख
·         शिक्षा सीख
·         रक्षा रख (रख-रखाव), राखी
·         धनुष धनक (कुछ हिंदी उपभाषाओं में)

पश्तो में

पश्तो की बहुत सी उपभाषाओं में कई शब्द हैं जिनमें संस्कृत-जैसी '' की ध्वनि मिलती है। इसे पश्तो के ښ अक्षर से लिखा जाता है: ध्यान रहे की उर्दू, फ़ारसी और अरबी में न यह ध्वनि मिलती है और न यह अक्षर। यह भी ध्यान रहे कि कुछ पश्तो उपभाषाओँ में '' की जगह 'ख़' उच्चारित किया जाता है। '' के पश्तो प्रयोग के कुछ उदाहरण हैं:
·         पष्तो (پښتو), अर्थ: पश्तो भाषा
·         षोदल (ښودل), अर्थ: दिखाना
·         च्षल (چښل), अर्थ: पीना

·         प्षो (پښو), अर्थ: पाऊँ (एक पाऊँ)